Sim Card Rules: भारत में हाल के वर्षों में साइबर धोखाधड़ी के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है. अपराधी दूरसंचार संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं और जनता को बड़े पैमाने पर फर्जी संदेश भेज रहे हैं. इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए. दूरसंचार विभाग (DoT) ने विभिन्न सुरक्षा उपायों को लागू करने और कड़े कानूनों को लागू करने की योजना बनाई है.
दूरसंचार संसाधनों का गलत इस्तेमाल
साइबर अपराधी अलग-अलग तरीकों का उपयोग कर दूरसंचार संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं. रिपोर्टों के अनुसार ये अपराधी धोखाधड़ी से सिम कार्ड और एसएमएस हेडर जैसी टेलीकॉम पहचान प्राप्त कर लेते हैं और फिर जनता को ठगने के लिए फर्जी संदेशों का इस्तेमाल करते हैं.
साइबर धोखाधड़ी के सामान्य तरीके
फर्जी दस्तावेजों से सिम कार्ड प्राप्त करना
- अपराधी नकली आधार कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेजों का उपयोग कर सिम कार्ड प्राप्त कर लेते हैं.
- इन सिम कार्डों का इस्तेमाल फर्जी बैंकिंग कॉल, लॉटरी घोटालों और अन्य धोखाधड़ी में किया जाता है.
दूसरों के नाम पर सिम कार्ड लेना और बेचना
- कई लोग अपने नाम पर सिम कार्ड खरीदकर किसी और को बेच देते हैं, जो कानूनी रूप से गलत है.
- इन सिम कार्डों का उपयोग अवैध गतिविधियों में किया जा सकता है, जिससे असली धारक भी अपराध में फंस सकता है.
फर्जी प्वाइंट ऑफ सेल (POS) केंद्रों की भूमिका
- कुछ POS केंद्र भी साइबर अपराधियों को फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराने में शामिल पाए गए हैं.
- ऐसे POS केंद्रों पर सरकार की कड़ी नजर है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
आईपी एड्रेस, आईएमईआई नंबर और एसएमएस हेडर में छेड़छाड़
- अपराधी तकनीकी हेरफेर करके इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) एड्रेस और मोबाइल उपकरण पहचान संख्या (IMEI) को बदल देते हैं.
- इससे ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है और अपराधियों को पकड़ना कठिन हो जाता है.
दूरसंचार विभाग (DoT) की सख्त चेतावनी
भारत सरकार और दूरसंचार विभाग ने इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है. टेलीकम्युनिकेशन अधिनियम, 2023 के तहत इस प्रकार की धोखाधड़ी को गंभीर अपराध माना गया है.
धारा 42 (3) (c):
- टेलीकॉम पहचान छेड़छाड़ करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
- यदि कोई व्यक्ति पहचान छिपाने के लिए सिम कार्ड या नेटवर्क सेटिंग्स में हेरफेर करता है, तो इसे अपराध माना जाएगा.
धारा 42 (3) (e):
- फर्जी तरीके से सिम कार्ड प्राप्त करना या अन्य दूरसंचार संसाधनों का गलत इस्तेमाल करना गैरकानूनी है.
- इस तरह के मामलों में अपराधियों पर सख्त कार्रवाई होगी.
धारा 42 (7):
- यह अपराध गैर-जमानती (नॉन-बेलेबल) है, यानी गिरफ्तारी के बाद आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी.
- इसे आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत दंडनीय अपराध के रूप में दर्ज किया गया है.
अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान
सरकार ने साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़े दंड का प्रावधान किया है.
धारा 42 (3) के तहत दंड:
- अपराधी को तीन साल तक की कैद हो सकती है.
- पचास लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
- दोनों सजाएं एक साथ भी दी जा सकती हैं.
धारा 42 (6) के तहत दंड:
- यदि कोई व्यक्ति इस अपराध में सहायता करता है, तो उस पर भी समान सजा लागू होगी.
- अपराधियों को पकड़ने में सहयोग न करने पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
सरकार द्वारा साइबर सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम
भारत सरकार साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए लगातार कड़े कदम उठा रही है. कुछ महत्वपूर्ण उपाय इस प्रकार हैं:
सिम कार्ड सत्यापन प्रक्रिया सख्त की गई
- नए सिम कार्ड जारी करने से पहले अधिक सख्त सत्यापन प्रक्रिया लागू की गई है.
- बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य किया गया है ताकि फर्जी दस्तावेजों से सिम कार्ड न लिए जा सकें.
POS केंद्रों पर निगरानी बढ़ाई गई
- उन दुकानों और एजेंटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जो सिम कार्ड जारी करते हैं.
- POS केंद्रों पर फर्जी सिम कार्ड बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है.
कस्टमर अवेयरनेस प्रोग्राम
- सरकार और टेलीकॉम कंपनियां मिलकर आम जनता को साइबर धोखाधड़ी के बारे में जागरूक कर रही हैं.
- लोगों को अनजान नंबरों से आने वाले कॉल और मैसेज से सावधान रहने की सलाह दी जा रही है.
साइबर हेल्पलाइन और शिकायत पोर्टल
- साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया गया है.
- नागरिक अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
कैसे बचें साइबर धोखाधड़ी से?
- अनजान नंबर से आए कॉल या संदेश पर भरोसा न करें.
- अपने आधार या अन्य सरकारी दस्तावेज किसी के साथ साझा न करें.
- सिम कार्ड खरीदते समय सही प्रक्रिया अपनाएं और सत्यापन करें.
- अगर आपको साइबर धोखाधड़ी की कोई जानकारी मिलती है, तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल को सूचित करें.