IMPORTANCE OF CAMEL: राजस्थान में ऊंट का विशेष महत्व है. इसे ‘रेगिस्तान का जहाज’ कहा जाता है. क्योंकि यह लंबे समय तक बिना पानी के रेगिस्तान में सफर कर सकता है. ऊंट राज्य का राजकीय पशु भी है और इसकी उपयोगिता कृषि, परिवहन और व्यापार में सदियों से बनी हुई है. इसके साथ ही ऊंटनी का दूध भी लंबे समय से अपने औषधीय गुणों के कारण विशेष पहचान रखता है. हालाँकि इसकी उपलब्धता सीमित होने के कारण यह आम लोगों तक आसानी से नहीं पहुँच पाता.
बाड़मेर के पशुपालकों की नई पहल
राजस्थान के बाड़मेर जिले के थुम्बली गांव के पशुपालक देवी सिंह और रूप सिंह ने ऊंटनी के दूध को आम लोगों तक पहुँचाने की पहल की है. वे इस दूध को पैक करके बाजार में ला रहे हैं. जिससे आम लोगों को इसका फायदा मिल सके. यह कदम ऊंट पालने वाले पशुपालकों के लिए भी आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हो रहा है.
कैसे होता है दूध उत्पादन?
पशुपालक देवी सिंह बताते हैं कि वे पिछले 25 वर्षों से ऊंट पालन कर रहे हैं और उनके पास 80 ऊंटनियाँ हैं. इनमें से लगभग 25-30 ऊंटनियाँ विभिन्न समय पर दूध देती हैं. एक ऊंटनी एक दिन में करीब 2 से 2.5 लीटर दूध देती है. जिससे प्रतिदिन लगभग 40 लीटर दूध प्राप्त होता है. इस दूध को अब बाजार तक पहुँचाने के लिए सही तरीके से पैक किया जा रहा है.
राजस्थान में ऊंटों की संख्या और पशुपालन विभाग की भूमिका
बाड़मेर के पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक नारायण सोलंकी के अनुसार वर्ष 2017 की 20वीं पशुगणना के अनुसार जिले में 25,919 ऊंट थे. वर्तमान में पशुगणना प्रक्रिया चल रही है और नए आँकड़े आने के बाद ऊंटों की संख्या में हुए बदलाव की जानकारी मिलेगी. यह पहल पशुपालकों के लिए एक नई संभावना खोल सकती है. जिससे ऊंटनी के दूध का व्यवसायिकरण संभव हो सके.
ऊंटनी के दूध की कीमत और बिक्री प्रक्रिया
पशुपालक रूप सिंह बताते हैं कि ऊंटनी का दूध बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होता. इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने ऊंटनी के दूध को 250 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचना शुरू किया है. इसके अलावा एक गिलास दूध 70 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है.
ऊंटनी का दूध स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
मेडिकल कॉलेज के जिला अस्पताल के डॉक्टर थान सिंह के अनुसार ऊंटनी का दूध कई बीमारियों में लाभकारी होता है. यह डायबिटीज, अस्थमा, हड्डियों की कमजोरी और पीलिया जैसी समस्याओं में उपयोगी साबित होता है. डॉक्टरों का मानना है कि यह दूध प्रोटीन से भरपूर होता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है. हालाँकि यह आसानी से पचता नहीं है. इसलिए बच्चों को इसे पानी में मिलाकर थोड़ी मात्रा में देना चाहिए.
किस-किस बीमारी में उपयोगी है ऊंटनी का दूध?
- डायबिटीज: इसमें मौजूद प्राकृतिक इंसुलिन तत्व रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.
- अस्थमा: इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं.
- गैस्ट्रिक समस्याएँ: यह दूध पेट की समस्याओं, जैसे गैस्ट्राइटिस और अल्सर में राहत देता है.
- प्रतिरक्षा प्रणाली: यह इम्युनोग्लोबुलिन्स और अन्य पोषक तत्वों की उपस्थिति के कारण शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है.
- त्वचा संबंधी समस्याएँ: ऊंटनी का दूध एक्जिमा और सोरायसिस जैसी समस्याओं में लाभकारी साबित हो सकता है.
ऊंटनी के दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व
ऊंटनी का दूध पोषण से भरपूर होता है और इसमें कई महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं, जैसे:
- विटामिन बी कॉम्प्लेक्स
- प्रोटीन
- वसा
- लैक्टोज
- कैल्शियम
- मैग्नीशियम
- फास्फोरस
- पोटैशियम
- सोडियम
- विटामिन सी
- आयरन