Government Action: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार शुरू से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है. सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस नीति के तहत प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी गई है कि यदि उनके क्षेत्र में भ्रष्टाचार हुआ तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
सभी प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश जारी
पंजाब सरकार ने सभी डीएम (जिला मजिस्ट्रेट), एसडीएम (उप-मंडल मजिस्ट्रेट), एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) और एसएचओ (थाना प्रभारी) को अपने क्षेत्रों में भ्रष्टाचार रोकने के कड़े निर्देश दिए हैं. सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई अधिकारी भ्रष्टाचार को रोकने में असफल रहता है तो उसे पद से हटाने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है.
आम जनता और विधायकों से फीडबैक लिया जाएगा
भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने जनता की भागीदारी को भी जरूरी माना है. इस दिशा में सरकार ने निर्णय लिया है कि आम जनता और स्थानीय विधायकों से फीडबैक लिया जाएगा. इससे सरकार को यह जानने में मदद मिलेगी कि अधिकारी कितनी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं. यदि किसी अधिकारी के खिलाफ शिकायतें मिलती हैं, तो सरकार तुरंत कार्रवाई करेगी.
सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के प्रयास
राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि किसी भी सरकारी कार्यालय में लोगों को अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि हर सरकारी अधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि जनता को उनके कार्यों के लिए सरकारी कार्यालयों में किसी भी तरह की असुविधा न हो. सरकारी अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि जनता के साथ उनके व्यवहार में कोई ढील न हो और वे अपना काम पूरी ईमानदारी व पारदर्शिता से करें.
भ्रष्टाचार रोकने के लिए त्वरित समाधान की नीति
सरकार ने यह भी कहा है कि जनता को सरकारी दफ्तरों में किसी भी प्रकार की शर्मिंदगी या परेशानी महसूस नहीं होनी चाहिए. सरकारी कर्मचारियों को आदेश दिया गया है कि वे सभी कार्यों को शीघ्रता से और पूरी निष्ठा से करें ताकि किसी भी व्यक्ति को बार-बार चक्कर न लगाने पड़ें. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि जनता को उचित सम्मान मिले और उनके कार्य बिना किसी बाधा के पूरे हों.
अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए नई व्यवस्था
पंजाब सरकार ने फैसला किया है कि जिला उपायुक्तों (डीसी), एसएसपी, एसडीएम, तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों, एसपी, डीएसपी, एसएचओ और अन्य फील्ड अधिकारियों के प्रदर्शन का आंकलन आम जनता और विधायकों से फीडबैक के आधार पर किया जाएगा. इस प्रक्रिया में सरकार यह देखेगी कि कौन-कौन से अधिकारी जनता के लिए बेहतर काम कर रहे हैं और कौन से अधिकारी अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे हैं.
ईमानदार अधिकारियों को मिलेगा पुरस्कार
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट किया है कि जनता और विधायकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर अधिकारियों को पुरस्कृत भी किया जाएगा और दंडित भी. जो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाएंगे, उन्हें राज्य सरकार प्रोत्साहन देगी. वहीं जो अधिकारी अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरतेंगे या भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएंगे. उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
सरकार का उद्देश्य: पारदर्शी और प्रभावी प्रशासन
राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य एक पारदर्शी और प्रभावी प्रशासन स्थापित करना है. इसके लिए सभी अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ काम करें. भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने एक निगरानी तंत्र भी विकसित किया है. जिसके तहत अधिकारियों के कार्यों पर नजर रखी जाएगी.
भ्रष्टाचार मुक्त पंजाब बनाने का लक्ष्य
पंजाब सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन की दिशा में आगे बढ़ रही है. सरकार चाहती है कि राज्य में कोई भी व्यक्ति सरकारी दफ्तरों में रिश्वत देने के लिए मजबूर न हो. इसके लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में एक मजबूत और निष्पक्ष प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की जा रही है. जनता की भागीदारी से यह अभियान और अधिक प्रभावी होगा. जिससे भ्रष्टाचार को पूरी तरह समाप्त किया जा सकेगा.