Education Policy: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने की प्रक्रिया में निजी स्कूल सरकारी स्कूलों से आगे निकल रहे हैं. बीते दो वर्षों में निजी स्कूलों ने NEP के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. जिससे न केवल शिक्षा प्रणाली बदली है. बल्कि छात्रों की सीखने की प्रक्रिया भी अधिक प्रभावी हुई है.
पत्रिका फाउंडेशन द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि जहां सरकारी स्कूलों में NEP का क्रियान्वयन मात्र 20% हुआ है. वहीं निजी स्कूलों में यह आंकड़ा 80% तक पहुंच चुका है. हालांकि निजी स्कूलों ने शिक्षा प्रणाली में बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं.
बच्चों की कक्षाएं हो रही हैं स्मार्ट और हाइटेक
निजी स्कूलों में कक्षाओं को स्मार्ट और आधुनिक बनाया जा रहा है. नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की कक्षाओं में स्मार्ट बोर्ड, डिजिटल लर्निंग टूल्स और हाई-टेक संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है.
- स्कूलों ने क्लासरूम के इंटीरियर से लेकर डिजिटल लर्निंग तक पर बड़ा निवेश किया है.
- एक क्लास को हाइटेक बनाने में 10 से 15 लाख रुपये तक खर्च किए जा रहे हैं.
- बच्चों को खुलकर सोचने, सवाल करने और रचनात्मक ढंग से सीखने का अवसर मिल रहा है.
- मानसिक और शारीरिक विकास को ध्यान में रखते हुए आरामदायक और सुरक्षित वातावरण तैयार किया गया है.
NEP के तहत शिक्षा प्रणाली में क्या बदलाव हुए?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत निजी स्कूलों में कई बड़े बदलाव किए गए हैं:
- पारंपरिक रटने वाली शिक्षा प्रणाली की जगह अनुभव आधारित शिक्षण (Experiential Learning) को बढ़ावा दिया जा रहा है.
- अंकों के बजाय कौशल विकास और व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है.
- बच्चों को परियोजना-आधारित लर्निंग (Project-Based Learning) और STEM शिक्षा से जोड़ा जा रहा है.
- स्कूलों में मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है, जिससे बच्चों की क्रिएटिविटी बढ़ रही है.
- कक्षा 6 से ही कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नई तकनीकों से बच्चों को परिचित कराया जा रहा है.
निजी स्कूलों में तेजी से हो रहे बदलाव का कारण
- निजी संस्थानों में ज्यादा संसाधन उपलब्ध हैं. जिससे वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली को तेजी से लागू कर रहे हैं.
- पैरेंट्स की मांग भी डिजिटल और अनुभवात्मक शिक्षा की तरफ बढ़ रही है. जिससे निजी स्कूल अपनी सुविधाओं को अपग्रेड कर रहे हैं.
- सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों में लचीला प्रशासन होता है. जिससे नई नीतियों को तेजी से लागू किया जा सकता है.
NEP लागू करने में आ रही 5 प्रमुख चुनौतियां
हालांकि निजी स्कूलों ने शिक्षा प्रणाली में बदलाव की दिशा में तेजी दिखाई है. लेकिन अभी भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं:
1. शिक्षा विभाग की ओर से नियमित निगरानी और सहायता की कमी
NEP के सफल क्रियान्वयन के लिए सरकार द्वारा स्कूलों की नियमित निगरानी और सहायता आवश्यक है. लेकिन निजी स्कूलों का कहना है कि शिक्षा विभाग की ओर से पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं मिल रहा. सरकारी निरीक्षणों की कमी के चलते नीति का सही कार्यान्वयन बाधित हो रहा है.
2. छोटे निजी स्कूलों में वित्तीय संसाधनों की कमी
बड़े निजी स्कूल तो NEP को तेजी से लागू कर रहे हैं. लेकिन छोटे निजी स्कूलों के लिए यह मुश्किल हो रहा है.
- स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल बोर्ड और हाई-टेक संसाधनों को लगाने में अधिक खर्च आता है.
- शिक्षकों को नई तकनीकों से प्रशिक्षित करने के लिए फंड की कमी बनी हुई है.
- कई स्कूल सरकारी सहायता चाहते हैं, लेकिन नीति केवल सरकारी स्कूलों पर केंद्रित है.
3. पारंपरिक शिक्षण से अनुभवात्मक शिक्षण की ओर बदलाव में कठिनाई
शिक्षकों को नई शिक्षा प्रणाली के अनुरूप ढालना एक चुनौती है.
- कई शिक्षक परंपरागत तरीकों से पढ़ाने के आदी हैं. जिससे अनुभव आधारित शिक्षा को अपनाने में दिक्कत हो रही है.
- शिक्षकों को नई पद्धतियों का प्रशिक्षण देना आवश्यक है. लेकिन सभी स्कूलों में इसके लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.
4. NEP के तहत प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी
NEP को लागू करने के लिए शिक्षकों को नई शिक्षा प्रणाली और डिजिटल उपकरणों का उपयोग सिखाने की जरूरत है.
- कई शिक्षकों को कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग जैसे विषयों का अनुभव नहीं है.
- स्कूलों को चाहिए कि वे नए पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दें. ताकि वे छात्रों को अच्छी तरह से गाइड कर सकें.
5. दीर्घकालिक नीति अनुकूलन और बुनियादी ढांचे के विकास की जरूरत
NEP को पूरी तरह सफल बनाने के लिए लंबी अवधि की योजना और बुनियादी ढांचे के विकास की जरूरत है.
- डिजिटल शिक्षा को स्थायी रूप से लागू करने के लिए मजबूत इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्ट क्लासरूम और लैब्स की आवश्यकता है.
- शिक्षा प्रणाली को स्थानीय जरूरतों के अनुसार ढालने की आवश्यकता है. ताकि हर क्षेत्र के छात्र इसका लाभ उठा सकें.
क्या सरकारी स्कूल NEP में पीछे हैं?
जहां निजी स्कूलों में 80% तक NEP लागू हो चुका है. वहीं सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा 20% तक ही सीमित है. इसके मुख्य कारण:
- सरकारी स्कूलों में डिजिटल संसाधनों और स्मार्ट क्लासरूम की कमी.
- सरकारी स्कूलों में आधारभूत संरचना की कमी.
- शिक्षकों की कमी और अपर्याप्त प्रशिक्षण.