New Expressway: बिहार की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही रक्सौल-हल्दिया और गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को मंजूरी दे सकती है. इन हाईवे परियोजनाओं से न केवल बिहार के विभिन्न जिलों को फायदा होगा. बल्कि व्यापार और परिवहन को भी गति मिलेगी.
नेपाल से व्यापार को मिलेगी रफ्तार
करीब 650 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे का 367 किमी का हिस्सा बिहार में होगा. यह पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, लखीसराय, जमुई और बांका जिलों से गुजरेगा. इस सड़क के माध्यम से बिहार के रक्सौल स्थित ड्राइपोर्ट को पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट से सीधा जोड़ा जाएगा. जिससे नेपाल के साथ व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे: तीन राज्यों को जोड़ेगा हाईवे
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 521 किमी होगी. जिसमें बिहार का एक बड़ा हिस्सा शामिल होगा. इसका एलायनमेंट गोरखपुर रिंग रोड से शुरू होकर पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज होते हुए पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगा. यह सड़क उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी. जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी.
वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए वन विभाग से मंजूरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है. गया, औरंगाबाद और कैमूर जिलों में वन क्लीयरेंस की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. उम्मीद है कि निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा और 2027 तक यह एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो जाएगा.
एक्सप्रेसवे से क्या होंगे फायदे?
- तीन राज्यों की कनेक्टिविटी मजबूत होगी, जिससे पर्यटकों और कारोबारियों को लाभ मिलेगा.
- बिहार के व्यापार और उद्योगों को नए अवसर मिलेंगे.
- नेपाल के साथ व्यापार आसान होगा, जिससे आर्थिक संबंध मजबूत होंगे.
- परिवहन लागत में कमी आएगी और यात्रा का समय घटेगा.
- राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विकास के नए द्वार खुलेंगे.