लोन ना चुकाने वालों पर क्या होगी बैंक कार्रवाई, लोन लेने का सोच रहे तो जान लेना Loan EMI Bounce

Loan EMI Bounce: जब कोई व्यक्ति लोन की ईएमआई समय पर नहीं चुका पाता, तो इसे लोन डिफॉल्ट कहा जाता है. बैंक और वित्तीय संस्थान लोन डिफॉल्ट होने पर नोटिस भेजते हैं और कई तरह की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं. हालांकि, कई बार ग्राहक अपने अधिकारों की जानकारी न होने के कारण दबाव में आ जाते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि लोन रिकवरी के नियम क्या हैं और आपके क्या अधिकार होते हैं.

बैंक लोन डिफॉल्ट पर क्या कार्रवाई करता है?

बैंक लोन डिफॉल्ट से पहले ग्राहक को सूचित करता है और लोन या ईएमआई भुगतान का समय बढ़ाने का विकल्प देता है. यदि फिर भी भुगतान नहीं किया जाता, तो बैंक नोटिस भेज सकता है और कानूनी कार्रवाई कर सकता है. इसके बाद संपत्ति की बिक्री, वेतन कटौती और अन्य वसूली प्रक्रियाएं शुरू की जा सकती हैं. हालांकि इस दौरान भी ग्राहक के पास कुछ महत्वपूर्ण अधिकार होते हैं, जिनकी जानकारी होना आवश्यक है.

रिकवरी एजेंटों की सीमाएं और नियम

अगर बैंक लोन की वसूली के लिए रिकवरी एजेंटों की मदद लेता है, तो इसके लिए कुछ नियम होते हैं:

  • एजेंटों को ग्राहक को धमकाने या डराने का अधिकार नहीं होता.
  • वे केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही संपर्क कर सकते हैं.
  • यदि कोई एजेंट गलत व्यवहार करता है, तो ग्राहक बैंक में शिकायत दर्ज कर सकता है.
  • यदि बैंक इस मामले में सुनवाई नहीं करता, तो ग्राहक बैंकिंग ओम्बड्समैन (Banking Ombudsman) से शिकायत कर सकता है.

बिना नोटिस के कोई कार्रवाई नहीं कर सकता बैंक

बैंक लोन रिकवरी के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए बाध्य होता है. बिना सूचना दिए किसी ग्राहक की संपत्ति जब्त नहीं की जा सकती.

  • अगर कोई संपत्ति गिरवी रखी गई है, तो बैंक कानूनी रूप से उसे जब्त कर सकता है, लेकिन पहले ग्राहक को नोटिस देना जरूरी है.
  • अगर 90 दिनों तक लोन की ईएमआई नहीं भरी जाती, तो लोन अकाउंट को NPA (Non-Performing Asset) घोषित किया जाता है.
  • इस स्थिति में बैंक को कम से कम 60 दिनों का नोटिस देना होता है ताकि ग्राहक को अपनी स्थिति सुधारने का अवसर मिल सके.

ग्राहक को शिकायत करने का अधिकार

अगर कोई ग्राहक लोन चुका नहीं पाता और रिकवरी एजेंट गलत व्यवहार करता है, तो ग्राहक के पास शिकायत करने का अधिकार होता है.

  • ग्राहक सबसे पहले बैंक में लिखित शिकायत दर्ज कर सकता है.
  • यदि बैंक शिकायत का निवारण नहीं करता, तो ग्राहक RBI के बैंकिंग ओम्बड्समैन से शिकायत कर सकता है.
  • ग्राहक को न्यायालय में भी मामला दर्ज करने का अधिकार होता है.

लोन डिफॉल्टर के कानूनी अधिकार

संपत्ति की जब्ती से पहले सूचना देना अनिवार्य:

    • यदि कोई ग्राहक लोन की ईएमआई 90 दिनों तक नहीं भरता, तो बैंक को 60 दिनों का नोटिस देना होता है.
    • यह नोटिस मिलने के बाद ही बैंक संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है.

    संपत्ति जब्त होने के बावजूद ग्राहक को समय दिया जाता है:

      • बैंक को ग्राहक को लोन चुकाने के लिए एक अंतिम अवसर देना होता है.
      • इस प्रक्रिया के तहत बैंक 30 दिन का एक सार्वजनिक नोटिस जारी करता है.

      संपत्ति की बिक्री पारदर्शी होनी चाहिए:

        • बैंक को संपत्ति की उचित कीमत लगानी होती है और उसे नीलामी से पहले इसकी जानकारी ग्राहक को देनी होती है.
        • यदि ग्राहक को लगता है कि संपत्ति का मूल्यांकन ठीक से नहीं हुआ है, तो वह इस पर आपत्ति दर्ज कर सकता है.

        अतिरिक्त राशि पर ग्राहक का अधिकार:

          • अगर बैंक संपत्ति को बेचने के बाद लोन की पूरी रकम वसूल कर लेता है और अतिरिक्त धनराशि बचती है, तो यह राशि ग्राहक को लौटाई जानी चाहिए.
          • ग्राहक इस धनराशि के लिए बैंक में आवेदन कर सकता है.

          बैंक से समझौता करने का अधिकार:

            • ग्राहक बैंक से लोन पुनर्गठन (Loan Restructuring) या समझौता (One Time Settlement – OTS) का अनुरोध कर सकता है.
            • इससे उसे एक निश्चित अवधि में कम ब्याज पर लोन चुकाने की सुविधा मिल सकती है.

            लोन रिकवरी प्रक्रिया के दौरान क्या करें?

            अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है. निम्नलिखित कदम उठाएं:

            • बैंकिंग ओम्बड्समैन से संपर्क करें और उचित कार्रवाई की मांग करें.
            • बैंक से बातचीत करें और लोन पुनर्गठन का अनुरोध करें.
            • अपने अधिकारों को समझें और कानूनी सलाह लें.
            • अगर रिकवरी एजेंट गलत व्यवहार करते हैं, तो उनकी शिकायत करें.

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