Electricity Consumption: बिहार में पिछले दो दशकों में बिजली खपत में जबरदस्त इजाफा हुआ है. वर्ष 2005 में जहां राज्य में केवल 700 मेगावाट बिजली की खपत होती थी. वहीं अब यह 8005 मेगावाट तक पहुंच गई है. यह आंकड़ा दिखाता है कि बिहार ने बिजली के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है.
बिजली उत्पादन में बिहार की आत्मनिर्भरता
दो दशक पहले बिहार में बिजली उत्पादन शून्य था. लेकिन अब राज्य में लगभग 11,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. सरकार के प्रयासों से इस साल के अंत तक यह आंकड़ा बढ़कर 12,058 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है. इससे बिहार को अन्य राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और प्रदेश की ऊर्जा जरूरतें आसानी से पूरी की जा सकेंगी.
बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में बड़ा इजाफा
2005 में बिहार में मात्र 17 लाख बिजली उपभोक्ता थे. जबकि अब यह संख्या बढ़कर 2 करोड़ 12 लाख हो गई है. बिजली कनेक्शन की संख्या में यह वृद्धि बताती है कि राज्य सरकार ने बिजली सेवाओं को दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने में बड़ी सफलता हासिल की है.
आर्थिक सर्वेक्षण में हुआ बड़ा खुलासा
हाल ही में बिहार विधानमंडल में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, राज्य में बिजली व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. वर्ष 2005 में जहां राज्य में केवल 45 ग्रिड उपकेंद्र थे, वहीं अब यह संख्या 170 तक पहुंच गई है. उस समय अधिकतम 1000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो सकती थी. जबकि अब 15,000 मेगावाट तक बिजली आपूर्ति की क्षमता विकसित कर ली गई है.
संचरण लाइनों की लंबाई में चार गुना वृद्धि
बिजली के निर्बाध वितरण के लिए संचरण लाइनों का विस्तार किया गया है. 2005 में राज्य में इन लाइनों की लंबाई मात्र 5000 सर्किट किलोमीटर थी. लेकिन अब यह बढ़कर 20,393 सर्किट किलोमीटर हो गई है. इससे राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में सुचारू रूप से बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है.
बिजली कंपनियों का नुकसान हुआ कम
बिहार में बिजली कंपनियों को पहले तकनीकी और व्यावसायिक नुकसान का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब यह स्थिति काफी हद तक सुधर गई है. वर्ष 2012-13 में बिजली कंपनियों का कुल नुकसान 45.41% था, जो 2023-24 में घटकर 19.94% रह गया है. यह दर्शाता है कि राज्य सरकार ने बिजली वितरण प्रणाली को सुधारने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं.
बिजली की मांग में जबरदस्त वृद्धि
बिहार में बिजली की मांग में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. 2017-18 के मुकाबले 2023-24 में चरम बिजली मांग में 1.4 गुना की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2005 में प्रति व्यक्ति केवल 70 यूनिट बिजली की खपत होती थी, जो 2012 में बढ़कर 134 यूनिट हो गई. वर्ष 2024 में यह खपत 363 यूनिट तक पहुंच गई है. मात्र 12 वर्षों में प्रति व्यक्ति 229 किलोवाट आवर की वृद्धि दर्ज की गई है.
शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का असर
बिहार में 2018 में ही शत-प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया था. इसके कारण बिजली की मांग में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है. वितरण नेटवर्क में सुधार के चलते शहरी क्षेत्रों में लगभग 24 घंटे बिजली मिल रही है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 22 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है.
बिजली खपत में घरेलू उपभोक्ता आगे
बिहार में बिजली की सबसे अधिक खपत घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा की जाती है. कुल बिजली खपत में 41% हिस्सा घरेलू उपभोक्ताओं का है. जबकि कृषि क्षेत्र में 13% बिजली की खपत होती है. इसके अलावा औद्योगिक और व्यावसायिक श्रेणी के उपभोक्ता कुल बिजली खपत का 46% हिस्सा रखते हैं.
जिलावार बिजली खपत का विश्लेषण
बिहार के विभिन्न जिलों में बिजली की खपत अलग-अलग है. राज्य के प्रमुख जिलों की बिजली खपत का विवरण इस प्रकार है:
जिला | बिजली खपत (करोड़ यूनिट) |
---|---|
पटना | 647.6 |
गया | 240.2 |
मुजफ्फरपुर | 165.6 |
रोहतास | 157.0 |
नालंदा | 151.4 |
पूर्वी चंपारण | 136.8 |
भागलपुर | 130.1 |
औरंगाबाद | 112.2 |
इस आंकड़े से स्पष्ट है कि राजधानी पटना में बिजली की खपत सबसे अधिक है. यह स्वाभाविक भी है क्योंकि पटना राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक और व्यावसायिक केंद्र है.
बिजली की मांग को पूरा करने के लिए सरकार के प्रयास
राज्य में बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. अगले वित्तीय वर्ष में जो 1 अप्रैल से शुरू होगा. राज्य सरकार ने 1112 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था कर ली है.
इसके अलावा बक्सर जिले के चौसा में 660 मेगावाट की दो बिजली इकाइयों का निर्माण कार्य जारी है. इनमें से एक यूनिट इसी साल चालू होने की संभावना है. इस परियोजना के पूरा होने के बाद राज्य को अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी.