रम को गर्म पानी के साथ लेने में है फायदा ? क्या सच में सर्दी जुकाम होगा दूर Rum Myths

Rum Myths: अगर आप शराब के शौकीन हैं या इसके बारे में जानकारी रखते हैं, तो आपने ‘खंभा’, ‘अद्धा’, ‘पौवा’ और ‘बच्चा’ जैसे नाम जरूर सुने होंगे. ये नाम भारतीय बाजार में शराब की बोतलों की विभिन्न मात्रा को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इनका उपयोग आम बोलचाल की भाषा में किया जाता है और हर किसी को इनका सही अर्थ पता नहीं होता. आइए इन नामों के पीछे के गणित को विस्तार से समझते हैं.

खंभा, अद्धा, पौवा और बच्चा: क्या होता है इनमें अंतर?

  • खंभा: इसे फुल बोतल कहा जाता है और इसमें 750 मिलीलीटर (ML) शराब होती है.
  • अद्धा: यह हाफ बोतल कहलाती है. जिसमें 375 मिलीलीटर शराब होती है.
  • पौवा: इसे क्वार्टर बोतल भी कहा जाता है और इसमें 180 मिलीलीटर शराब होती है.
  • बच्चा: यह 50 मिलीलीटर की मिनिएचर बोतल होती है. जिसे अक्सर टेस्टर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

क्या हाफ बोतल में दो क्वार्टर शराब होती है?

यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है कि क्या अद्धा (हाफ बोतल) में दो पौवा (क्वार्टर बोतल) शराब आ सकती है? इसका उत्तर सीधा है – नहीं.

  • एक क्वार्टर (पौवा) में 180 एमएल शराब होती है.
  • दो क्वार्टर (180 एमएल + 180 एमएल) मिलाकर 360 एमएल होते हैं.
  • जबकि हाफ बोतल में 375 एमएल शराब होती है.

इसका मतलब है कि दो क्वार्टर मिलाने पर हाफ बोतल से 15 एमएल कम शराब मिलेगी.

क्या फुल बोतल दो हाफ के बराबर होती है?

कई लोगों को यह भ्रम होता है कि दो हाफ बोतल को जोड़ने पर एक फुल बोतल बनती है. चलिए इसे भी समझते हैं:

  • एक हाफ बोतल में 375 एमएल शराब होती है.
  • दो हाफ बोतल मिलाकर कुल 750 एमएल शराब हो जाती है.
  • फुल बोतल में भी 750 एमएल ही शराब होती है.

इसका मतलब है कि दो हाफ बोतल मिलाने पर बिल्कुल फुल बोतल के बराबर मात्रा मिलती है.

शराब की मात्रा का सही कैलकुलेशन

अगर हम शराब की मात्रा को सही से समझें तो:

नाममात्रा (ML)
खंभा (फुल)750 एमएल
अद्धा (हाफ)375 एमएल
पौवा (क्वार्टर)180 एमएल
बच्चा (मिनिएचर)50 एमएल

भारत में शराब की बोतल के विभिन्न साइज क्यों?

शराब की मात्रा में यह विविधता बाजार की मांग और उपभोक्ताओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है. कुछ लोग शराब का स्वाद चखने के लिए ‘बच्चा’ खरीदते हैं, जबकि कुछ लोग पार्टी के लिए फुल बोतल (खंभा) लेना पसंद करते हैं. इसके अलावा यह मात्रा कीमत के अनुसार भी तय की जाती है ताकि हर व्यक्ति अपने बजट के अनुसार खरीदारी कर सके.

शराब की बोतलों के नामों की उत्पत्ति

इन नामों का इस्तेमाल आमतौर पर भारत और पड़ोसी देशों में किया जाता है. ये नाम स्थानीय भाषा में सरलता से बोले जा सकते हैं और जल्दी समझ में आ जाते हैं. ‘खंभा’, ‘अद्धा’, ‘पौवा’ और ‘बच्चा’ शब्द शराब की बिक्री और खपत के संदर्भ में आम भाषा का हिस्सा बन गए हैं.

क्या सभी प्रकार की शराब के लिए यही मानक हैं?

यह मानक ज्यादातर भारत में बिकने वाली शराब, विशेष रूप से व्हिस्की, रम, ब्रांडी और वोडका के लिए लागू होते हैं. हालांकि, बीयर, वाइन और अन्य विदेशी ब्रांड्स की बोतलों की मात्रा थोड़ी अलग हो सकती है. उदाहरण के लिए:

  • बीयर की बोतलें अक्सर 330 एमएल, 500 एमएल और 650 एमएल की होती हैं.
  • वाइन की बोतलें आमतौर पर 750 एमएल की होती हैं.
  • कुछ विदेशी शराब ब्रांड 1 लीटर और 1.5 लीटर की बोतलों में भी उपलब्ध होते हैं.

क्या शराब की मात्रा पर कोई सरकारी नियम होते हैं?

हां, सरकार शराब की मात्रा और पैकिंग पर सख्त नियम लागू करती है. हर राज्य में शराब की बिक्री और खपत के नियम अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन अधिकतर राज्यों में ये मानक मात्रा लागू होती है. इसके अलावा, शराब की बोतलों पर मात्रा, शराब की ताकत (ABV – Alcohol By Volume), और कर (Excise Duty) का स्पष्ट उल्लेख किया जाता है.

Leave a Comment