School Merger: प्रदेश सरकार ने प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों को मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. खासतौर पर उन स्कूलों को चिन्हित किया गया है. जहां छात्रों की संख्या बहुत कम है. शिक्षा विभाग ने आकांक्षी जिला चम्बा में ऐसे स्कूलों की सूची तैयार कर शिक्षा निदेशालय को भेज दी है. अब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर आगे के दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे.
चम्बा जिले में 69 स्कूलों की सूची बनी
चम्बा जिले में कुल 69 प्राइमरी और माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं. जहां बच्चों की संख्या निर्धारित मानकों के अनुसार बहुत कम है. इनमें 11 मिडल स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्रों की संख्या 10 से भी कम है. वहीं 58 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं. जहां विद्यार्थियों की संख्या मात्र 5 से कम है. इससे पहले भी चम्बा जिले में करीब 15 स्कूलों को इसी वजह से बंद कर दिया गया था और वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अन्य स्कूलों में भेजा गया था.
स्कूल मर्ज होने से विद्यार्थियों को नहीं होगी पढ़ाई में समस्या
सरकार के अनुसार स्कूलों को मर्ज करने से विद्यार्थियों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. बल्कि उन्हें बेहतर सुविधाएं और शिक्षकों की पूरी संख्या मिलेगी. जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. वहां इन स्कूलों से स्थानांतरित स्टाफ को तैनात किया जाएगा. इस प्रक्रिया से शिक्षकों की उपलब्धता में संतुलन बनेगा और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी.
मार्च के बाद नए सत्र में हो सकती है मर्जिंग प्रक्रिया
ग्रीष्मकालीन स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत मार्च के बाद होती है. सरकार इस दौरान कम संख्या वाले स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से मर्ज करने की योजना बना रही है. इससे पहले भी कई स्कूलों को मर्ज किया जा चुका है और अब नए सत्र से यह प्रक्रिया और तेज की जा सकती है.
छात्रों और अभिभावकों को हो सकता है स्थान परिवर्तन का सामना
स्कूलों के मर्ज होने के बाद छात्रों को दूसरे नजदीकी स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा. इससे कुछ विद्यार्थियों को स्कूल जाने में थोड़ी दूरी तय करनी पड़ सकती है. लेकिन सरकार का मानना है कि इससे उन्हें बेहतर शिक्षण सुविधाएं मिलेंगी. प्रशासन इस प्रक्रिया को व्यवस्थित तरीके से लागू करने की कोशिश कर रहा है, ताकि छात्रों और अभिभावकों को परेशानी न हो.
स्कूल स्टाफ को नए स्थानों पर तैनात किया जाएगा
विद्यार्थियों के साथ-साथ स्कूल स्टाफ को भी उन स्कूलों में भेजा जाएगा. जहां शिक्षकों की संख्या कम है. सरकार का मानना है कि इस फैसले से शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों को राहत मिलेगी और सभी स्कूलों में शिक्षक संख्या संतुलित होगी. इससे शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
प्रदेश सरकार की नीति – संसाधनों का बेहतर उपयोग
प्रदेश सरकार लंबे समय से स्कूलों को मर्ज करने की योजना बना रही थी. कुछ स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या काफी कम होने के कारण वहां शिक्षकों और संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा था. इस फैसले से अब संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग किया जा सकेगा और राज्य की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा.
सरकार की ओर से जल्द जारी होंगे नए दिशा-निर्देश
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश सरकार जल्द ही इस मामले में नए दिशा-निर्देश जारी करेगी. प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक, चम्बा बलवीर सिंह ने बताया कि जिले में कम संख्या वाले स्कूलों का पूरा ब्यौरा सरकार को भेज दिया गया है और अब आगे का निर्णय सरकार के स्तर पर लिया जाएगा.
समाज में उठ रहे सवाल – क्या यह फैसला सही है?
स्कूलों के मर्ज किए जाने के फैसले पर समाज में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह एक अच्छा कदम है. क्योंकि इससे शिक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद मिलेगी. वहीं कुछ अभिभावकों को चिंता है कि उनके बच्चों को नए स्कूलों में जाने में परेशानी हो सकती है. खासकर ग्रामीण इलाकों में यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है. जहां परिवहन की सुविधा सीमित होती है.