Land Purchase Rules: उत्तराखंड में नए सख्त भू-कानून को लागू करने में सुभाष कुमार समिति की संस्तुतियां मुख्य आधार बनी हैं. सरकार ने मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यमों (MSME) के लिए भूमि खरीद की अनुमति का अधिकार जिलाधिकारी से हटाकर शासन को सौंप दिया है. इससे राज्य में भूमि खरीद से जुड़े मामलों में अधिक पारदर्शिता आएगी और अनियमितताओं पर रोक लगेगी.
उद्योगों और पर्यटन क्षेत्रों के लिए नए नियम
सरकार ने प्रदेश में उद्योगों, अस्पतालों, चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं, पर्यटन गतिविधियों और शिक्षण संस्थानों के रूप में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए प्रावधान जोड़े हैं. लेकिन अब निवेशकों को भूमि खरीदने से पहले संबंधित विभागों से भूमि अनिवार्यता प्रमाणपत्र (Land Requirement Certificate) लेना अनिवार्य होगा. इससे यह तय किया जाएगा कि निवेशक को वास्तव में कितनी भूमि की आवश्यकता है.
भूमि खरीद की निगरानी के लिए पोर्टल बनेगा
प्रदेश में सख्त भू-कानून को लागू करने के लिए 21 फरवरी 2025 को उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया. इसके तहत,
- भूमि खरीद प्रक्रिया को पोर्टल के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा.
- नगर निकाय और छावनी परिषद क्षेत्रों में यह नया कानून लागू नहीं होगा.
- बाहरी व्यक्ति अगर नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदना चाहता है, तो उसे राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी.
- गलत जानकारी देने पर सरकार जमीन का अधिग्रहण कर सकती है.
बिना अनुमति खरीदी गई जमीन सरकार के कब्जे में जाएगी
सरकार ने हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिलों को छोड़कर अन्य 11 जिलों में कृषि और बागवानी के लिए भूमि खरीदने पर रोक लगा दी है.
- इन जिलों में कृषि भूमि खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी.
- अनुमति के बिना भूमि खरीदने पर वह सरकार में निहित हो जाएगी.
- पर्वतीय जिलों में कृषि और बागवानी के लिए लीज पर भूमि लेने का विकल्प खुला रखा गया है.
पहाड़ी क्षेत्रों में लीज पर भूमि देने से ग्रामीणों को होगा फायदा
राज्य सरकार नई लीज नीति बनाने जा रही है. इसमें केंद्र सरकार के मॉडल लीज एक्ट का अध्ययन किया जाएगा और उसी आधार पर लीज से संबंधित नियम तैयार किए जाएंगे.
- इससे ग्रामीणों को आर्थिक लाभ होगा.
- लीज के तहत दी गई भूमि से स्थानीय लोगों की आमदनी बढ़ेगी.
- सरकार किराए की दर भी तय करेगी. जिससे भूमि उपयोग में अधिक पारदर्शिता आएगी.
भूमि खरीद की अनुमति शासन से मिलेगी
भू-कानून की धारा 154 (4) (3) (क) में पर्वतीय और मैदानी जिलों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योगों, पर्यटन, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, खेल अकादमी और सस्ते आवास के लिए भूमि खरीद की अनुमति दी गई है.
- मैदानी जिलों में अधिकतम 12.5 एकड़ भूमि खरीदी जा सकती है.
- पर्वतीय जिलों में यह सीमा हटा दी गई है, जिससे अधिक भूमि निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
- अब जिलाधिकारी के स्थान पर राज्य सरकार (शासन) भूमि खरीद की अनुमति देगी.
नया कानून कब होगा लागू?
उत्तराखंड सरकार ने संशोधित विधेयक को राजभवन भेज दिया है. राजस्व सचिव एसएन पांडेय के अनुसार राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद नया भू-कानून लागू कर दिया जाएगा.
सख्त भू-कानून क्यों जरूरी था?
उत्तराखंड में बढ़ती भूमि खरीद की अनियमितताओं और बाहरी व्यक्तियों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने की प्रवृत्ति को देखते हुए सरकार को सख्त भू-कानून लागू करने की जरूरत महसूस हुई.
- भूमि लूट-खसोट रोकने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं.
- बाहरी निवेशकों को अब बिना अनुमति अधिक जमीन खरीदने की इजाजत नहीं होगी.
- इससे स्थानीय लोगों की भूमि सुरक्षित रहेगी और राज्य के संसाधनों का उचित उपयोग हो सकेगा.
कौन से लोग होंगे प्रभावित?
- उद्योगपति और व्यापारी, जिन्हें अब निवेश के लिए शासन की अनुमति लेनी होगी.
- बाहरी निवेशक, जिन्हें अब बिना अनुमति के जमीन खरीदने की अनुमति नहीं मिलेगी.
- भूमि दलाल, जो अब आसानी से जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं कर पाएंगे.
- स्थानीय किसान और ग्रामीण, जिन्हें लीज पॉलिसी से फायदा हो सकता है.