PM Fasal Bima Yojana: हरियाणा के किसानों को पिछले आठ सालों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत 8804.55 करोड़ रुपये का बीमा मुआवजा प्राप्त हुआ है. यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई करने और उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है.
हालांकि इस योजना के अंतर्गत बीमा राशि के वितरण में अनियमितताएं और देरी को लेकर किसानों में असंतोष बढ़ रहा है. खासकर साल 2023-24 में किसानों को मात्र 224.43 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है.
2022-23 में किसानों को मिला सबसे ज्यादा मुआवजा
अगर पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2022-23 में हरियाणा के किसानों को 2496.89 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला, जो अब तक की सबसे ज्यादा राशि है. इसके विपरीत 2023-24 में यह राशि घटकर मात्र 224.43 करोड़ रुपये रह गई.
कृषि क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों और विपक्षी दलों का मानना है कि बीमा कंपनियां और सरकार किसानों के प्रति उदासीन रवैया अपना रही हैं. जिससे उन्हें सही समय पर बीमा राशि नहीं मिल पा रही है.
कांग्रेस ने सरकार पर लगाया किसानों की अनदेखी का आरोप
हरियाणा में विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा में सरकार से राज्यवार बीमा राशि के वितरण की जानकारी मांगी थी.
उन्होंने सरकार पर यह आरोप लगाया कि बीमा कंपनियां किसानों से प्रीमियम वसूलने के बाद उन्हें समय पर मुआवजा नहीं देतीं. उनका कहना है कि किसानों से बीमा की रकम काट ली जाती है. लेकिन जब दावे की बारी आती है तो उन्हें परेशान किया जाता है.
बीमा दावों के निपटान में देरी के कारण
केंद्रीय किसान कल्याण राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने स्वीकार किया कि किसानों को बीमा राशि मिलने में कई कारणों से देरी होती है, जिनमें शामिल हैं:
- बैंकों द्वारा गलत और देर से प्रस्तुत किए गए बीमा दावे.
- उपज के आंकड़ों में विसंगतियां.
- राज्य सरकार और बीमा कंपनियों के बीच विवाद.
- राज्य सरकार द्वारा अपने हिस्से की निधि समय पर जारी न करना.
इन कारणों से किसानों को बीमा राशि के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो जाती है.
फसल नुकसान की गणना में किसानों की भागीदारी नहीं
कांग्रेस का यह भी आरोप है कि फसल नुकसान की गणना करने वाली समिति में किसानों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होता. इससे सरकार और बीमा कंपनियां मनमानी करती हैं और किसानों को सही मुआवजा नहीं मिलता.
अगर किसान इस फैसले से असंतुष्ट होते हैं, तो उन्हें अदालतों या सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इस प्रक्रिया में महीनों या सालों तक की देरी हो सकती है. जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है.
भविष्य में बीमा योजना में सुधार के प्रयास
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि अब किसानों को प्राकृतिक आपदा से खराब हुई फसल के प्रमाण के लिए तस्वीरें अपलोड करने की जरूरत नहीं होगी. सरकार अपने सैटेलाइट सिस्टम से फसल नुकसान का आकलन करेगी और उसी आधार पर किसानों को मुआवजा मिलेगा.
यदि यह व्यवस्था लागू होती है, तो किसानों को फसल नुकसान का प्रमाण देने के झंझट से मुक्ति मिल सकती है. हालांकि इस नई प्रणाली के प्रभावी रूप से लागू होने में अभी समय लग सकता है.
हरियाणा में पिछले वर्षों में किसानों को मिले बीमा दावे
हरियाणा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पिछले कुछ वर्षों में किसानों को दिए गए मुआवजे के आंकड़े इस प्रकार हैं:
- 2016-17: 298.23 करोड़ रुपये
- 2017-18: 898.93 करोड़ रुपये
- 2018-19: 948.30 करोड़ रुपये
- 2019-20: 938 करोड़ रुपये
- 2020-21: 1285.51 करोड़ रुपये
- 2021-22: 1714.26 करोड़ रुपये
- 2022-23: 2496.89 करोड़ रुपये
- 2023-24: 224.43 करोड़ रुपये
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि 2023-24 में किसानों को मिला मुआवजा पिछले 7 सालों में सबसे कम रहा, जिससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है.
देशभर में फसल बीमा योजना के तहत दिए गए दावे
देशभर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 2016 से 2024 तक कुल 1,75,276 करोड़ रुपये के दावे प्राप्त हुए. इनमें से 1,72,138 करोड़ रुपये के दावे निपटाए जा चुके हैं, जो 98.21% की दर को दर्शाता है.
हालांकि हाल के वर्षों में बीमा राशि का भुगतान 2022-23 में 18,211.73 करोड़ से घटकर 2023-24 में 15,504.87 करोड़ रुपये रह गया है. इससे यह साफ होता है कि बीमा कंपनियों ने पिछले सालों के मुकाबले कम भुगतान किया है.
सरकार से किसानों की मांग – बीमा राशि समय पर मिले
हरियाणा और देशभर के किसान लगातार मांग कर रहे हैं कि:
- सैटेलाइट सिस्टम को जल्द से जल्द लागू किया जाए.
- बीमा दावा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए.
- फसल नुकसान की गणना में किसानों को भी शामिल किया जाए.
- बैंकों और बीमा कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाई जाए.
- बीमा राशि के भुगतान में हो रही देरी को खत्म किया जाए.